हमारे मस्तिष्क तथा मेमोरी में क्या अंतर है? | Brain Vs Memory. मस्तिष्क व कंप्यूटर में ज्यादा शक्तिशाली कौन है?
आज के इस आर्जिकल में जानेंगे कि हमारे मस्तिष्क तथा कंप्यूटर मेमोरी में क्या अंतर होता है? और Computer तथा Memory में कौन अधिक पावरफुल है। इंसानो द्वारा किए गाए सबसे अद्भुत अविश्कारों में से एक कंप्यूटर ही है। जिसके आविष्कार के बाद हमारी जीवन शैली ही बदल गई है।
आज हर एक काम जो इंसान को करने में काफी समय लगता है वही काम कंप्यूटर और रोबोट पलक झपकते ही कर देते है। लेकिन क्या कंप्यूटर हमारे मस्तिष्क से ज्यादा तेज और विश्वसनीय होता है? इन दोनो में क्या समानताए और भिन्नताए होती है। तो चलिए जानते हैं इन सभी तथ्यों को।
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मस्तिष्क तथा मेमोरी में क्या अंतर है? Brain Vs Memory
जब हम हमारे शरीर की संरचना को समझते हैं तो हम यह पाते हैं कि मानव शरीर और कंप्यूटर सिस्टम में बिल्कुल समानताएं होती हैं जहाँ हमारे शरीर के शिराओ में खून दौड़ता है तो वहीं कंप्यूटर के शिराओं (तारो) में इलेक्ट्रॉन दौड़ता है। और इसी प्रकार हमारे शरीर के विभिन्न भाग होते है और उन सभी के अलग-अलग कार्य होते हैं, जबकि यदि आप कंप्यूटर सिस्टम को देखेंगे तो इसमें भी कई अलग-अलग भाग होता है और इनका भी अलग-अलग कार्य होता है।
अगर हम बात करें हमारे मस्तिष्क और कंप्यटर मेमोरी की तो इनमें भी बिल्कुल समानता पाई जाती है। या फिर कह सकते हैं कि कम्प्यूटर मेमोरी की संरचना हमारे मस्तिष्क की संरचना पर ही पूर्णतः आधारित है। आपने यह जरूर नोटिस किया होगा कि कोई टेलीफ़ोन नंबर या पता हमें आसानी से याद हो जाता है और उसे हम शायद ही भूल पाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते है जो हम जल्दी ही भूल जाते हैं। अतः हम कह सकते है कि हमारे पास भी स्थाई और अस्थाई मेमोरी होती है जैसे कि कंप्यूटर या मोबाइल में RAMव ROM होता है।
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👉RAM और ROM क्या अंतर होता है?
यह अनुमान है की एक मानवीय मस्तिष्क में 40 मेगा पुस्तकालयों का समावेश हो सकता है जहाँ प्रत्येक मेगा में पुस्तकालय की औसत क्षमता 80 हजार पुस्तकों को स्टोर करने की होती है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मानव मस्तिष्क में Data Storage की क्षमता एक सुपरकंप्यूटर से भी कही ज्यादा होती है। लेकिन इन सबका पूरा उपयोग कभी नही हो पाता है।
मस्तिष्क व कंप्यूटर में ज्यादा शक्तिशाली कौन है?
रंगों को पहचानने में
अगर बात करें रंगों को पहचानने की तो मनुष्य की आँख लगभग 1 करोड़ रंगों में अंतर कर लेती है, जबकि एक 32 बिट का कंप्यूटर 1 करोड़ 60 लाख रंगों में अंतर कर पाता है।
चेहरे को पहचानने में
चेहरे को पहचानने में बेशक कम्प्यूटर भी अब माहिर हो गया है। लेकिन अभी यह मानव मस्तिष्क के मुकाबले कही अधिक पीछे है। फेस रिकग्निशन तकनीक के माध्यम से कंप्यूटर चेहरा को पहचान सकता है इसके लिए यह चेहरे के कुछ हिस्सों को प्वाइंट करता है, जिस कारण से वह बड़ी आसानी से किसी का भी चेहरा पहचान सकता है। लेकिन बात करे हमारे दिमाग की तो, हमारा दिमाग इससे कही अधिक आसानी से किसी का भी चेहरा पहचान सकता है। पूरी दुनिया में अरबों लोग रहते हैं जिन्हे हमारा मस्तिष्क आसानी से देखकर उनमें फर्क कर सकता है।
गणना करने में कौन आगे है
गणना करने में कंप्यूटर ही आगे निकल जाता है क्योंकि हमारा मस्तिष्क छोटे-छोटे कैल्कुलेशन तो आसानी से कर सकता है लेकिन बड़े कैल्कुलेशन को करने में काफी समय ले सकता है वही पर कंप्यूटर किसी भी बड़े से बड़े गणनाओं को कुछ ही सेकंडो में हल करने में सक्षम होता है।
वस्तुओं की पहचान करने में
यहाँ पर हमारा दिमाग आसानी से किसी भी चीज को देख कर ही उसमें अंतर बता सकता है जैसे की चीनी और नमक में अंतर कर सकता है लेकिन कंप्यूटर नही कर सकता है। आप गूगल ग्लास जैसे एपलीकेशन का इस्तेमाल करके भी इमेज स्कैन करा के वस्तुओं की पहचान करा सकते है लेकिन एकदम सही नही होता है।
निर्णय लेने की क्षमता
निर्णय लेने में हमारा मस्तिष्क कंप्यूटर से कही अधिक शक्तिसाली है मस्तिष्क कोई भी निर्णय को लेने के लिए एकदम मुक्त है, वही कंप्यूटर की बात करे तो यह सिर्फ उन्ही निर्णय को लेने में सक्षम है जिसे प्रोग्रामर द्वारा उसकी मेमोरी में दर्ज किया गया है। हम कोई भी कार्य कर सकते है और निर्णय पल भर में ले सकते हैं।
सोचने की क्षमता
हमारे मस्तिष्क की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें सोचने की क्षमता होती है आज सोचने की क्षमता के कारण ही आज बड़े से बड़े आविष्कार हो पाए हैं। लेकिन वहीं बात करें कंप्यूटर की तो इसमें सोचने की क्षमता न के बराबर है। यह कोई भी कार्य अपने से नही कर सकता है।
प्रेक्टिकल करने में
कोई भी कम्प्यूटर सिर्फ वही कार्यों को कर सकता जिसके लिए उसे प्रोग्राम किया गया है। जबकि हम किसी नए कार्य को भी करने के लिए कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकाल लेते है हम कोई भी कार्य करने के लिए बाध्य नही है। यह क्षमता सिर्फ और सिर्फ मानव के पास ही है।
निष्कर्ष
भले ही कंप्यूटर किसी मामले में मस्तिष्क से आगे हो फिर भी इसकी तुलना इंसान से नही की जा सकती है। कंप्यूटर कितना भी स्मार्ट क्यूँ न हो जाए, यह सिर्फ एक मशीन है जिसे की मानवीय दिमाग ने बनाया है। अतः मस्तिष्क ही सबसे श्रेष्ठ है। और हमारा मस्तिष्क इतना शक्तिसाली है कि ऐसे हजारों मशीन्स को कुछ ही समय में डेवलप कर सकता है।
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